आम हिन्दू और आम मुसलमान मूलतः दिन भर मिलजुलकर एक दुसरे कि ज़िन्दगी की बेहतरी के लिए काम करने वाले लोग है| वे जब आपस में एक दुसरे को अपने-अपने कम धंधों के बीच मददगारों की तरह मिलते हैं तो उन्हें याद नहीं आता की वे हिन्दू या मुसलमान हैं| पर हिन्दू या मुसल्मानूं की तथाकथित अस्मिता या अधिकारों के लिए काम करने का स्वांग रचने वाले संगठन अपनी-अपनी नकारात्मक रणनीति एवं हरकतों से हिन्दू और मुसलमान की मिलजुलकर एक दुसरे के लिए काम करते रहने की सदियों पुरानी विरासत को ख़त्म करने पर दिखलाई पड़ते हैं|
हिन्दू और मुसलमानों के हितों की रक्षा करने का दावा या झंडा उठाने वाले संगठन और समूह अपने नकारात्मक लक्ष्यों के कारण हिन्दू-मुसलिम की सांझी ज़िन्दगी में अलगाव का अभियान विचारपूर्वक पूर्ण कालिक वेतन भोगी कार्यकर्ताओं को तैयार कर चला रहे हैं|
हिन्दू मुस्लिम ही नहीं सारी मनुष्यता के जीवन मूल्यों के ही पूरी तरह से विपरीत हैं| इसी कारण ऐसे सांप्रदायिक संगठनो एवं उन्मादी आतंकी जेहादी समूहों की कार्यप्रणाली से हिन्दू और मुसलमानो दोनों के ही एक जैसे बुनियादी सवालों का स्थायी हल निकालने की पहल के बजाये हिन्दू और मुसलमानों की ज़िन्दगी को अकारण कठिन एवं कष्टप्रद बनाने का ही काम किया है|
हिन्दू-मुस्लिम हितों की प्रथक प्रथक बाते करने वाली जमातों ने ही हिन्दू-मुस्लिमों के मन में सांप्रदायिक एवं आतंकवाद जैसे मनुष्य विरोधी विचार का भूत खडा किया है| उसे स्पष्टता के साथ ही जानना , समझना और बचाना जरूरी है| भारत के लोक जीवन में जानबूझकर फितरत खड़ी करने वाले संगठनो ने हिन्दुओं के मन में मुसलमानों के प्रति और मुसलमानो के मन में hinduon के प्रति जो नफरत एवं अविश्वास का भाव एवं भावना खड़ी करने का प्रयास किया है वह भारत के व्यापक लोकजीवन की सच्चाई नहीं है| भारत में लोक जीवन की हकीकत को समझने के लिए यदी हम भारत के हर हिस्से में बसे हिन्दू और मुसलमानों के बीच प्रतिदिन की जरूरतों को लेकर होने वाले
सामान्य लोकव्यवहार को देखे तो हमें नज़र आवेगा कि हिन्दू और मुसलमान हिल मिलकर भारत भर में किस तरह एक दुसरे कि रोजगार कि जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं|
भारत भर में इन दिनों मोटर वाहनों की संख्या में विस्फोटक रूप से वृद्धि हुई है|दो पहिया हो या चार पहिया मोटरवाहन इनमे कैसी भी रुकावट या खराबी कही भी आती है तो उसे तत्काल सुधारकर फिर से गतिशील कर देने वाला कुशल कारीगर हमारे देश का मेहनतकश युवा ही प्रायः होता है| हमारे घरों में लोहे का फर्नीचर , पलंग , अलमारी आज के जमाने में निश्चित रूप से होते ही है
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